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Saturday, April 19, 2014

वो खफ़ा हो गया है मुझसे बिना कुछ कहे


उसने कुछ इस तरह सजा दी है गुनाहों की मेरे
कि रूठ कर छुप गया है बिना कुछ कहे

इंतजार हो मेरे टूट के बिखरने का शायद
देख रहा है मुझे कहीं से बिना कुछ कहे

जी रहा हूँ मै ख़ामोशी से इसी यकी पर
कि आके सम्हाल लेगा मुझे बिना कुछ कहे

गुमां है कि उसके तकलीफ की इन्तहां होगी
मुड के ख़ामोशी से चला गया बिना कुछ कहे

 दर्द जाने से ज्यादे उसके तकलीफ का है
वक्त गुजरता है माफ़ी में बिना कुछ कहे

दर्द बढ़ता है तो निगाहें छलकती है मेरी
करीब आ रहा है अब वस्ल बिना कुछ कहे 

डॉ अलोक त्रिपाठी २०१४ 

3 comments:

  1. Kafi achchhi hai rachana

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  2. बहुत ही गहराईयों से निकली आवाज है यह जिसे बेहतरीन ढ़ग से लिखा गया है....बधाई...

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