तेरी हर अदा पर ग़ज़ल लिखूं
तेरी हर खता पर ग़ज़ल लिखूं
तू प्यार की एक हसीन किताब है
किताब पर आशार क्या लिखूं
तेरी पलकों में जीवन के सपने है
इन सपनों पर ह्या के परदे है
उनके पीछे मेरे जीने की राहे है
पलको के उठ्ने का अहसास क्या लिखूं
इस चश्मे नूर की इबादत हो
तेरे चाहतो के रौशन है ये साया मेरा
तुम ही तो उसके ख्वाइशों की इबारत हो
तुम्हारे एतबार का अहसास क्या लिखूं
कायनात का एक हसीन ख्याल हो
तुम तो उसके होने की गवाह हो
उसकी मुसब्बरी को अल्फाज़ क्या दूं
ये तो कुफ्र है उसके ख्वाबों को ख्याल क्या दूं
(C) डॉ अलोक त्रिपाठी २००४