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Wednesday, September 26, 2018

मै जो इनके साथ होता हूँ रब साथ होता है


कुछ लोगों सवरना किसी एक के लिए होता है 
जिन्दगी का सबब किसी का मुस्कुराना होता है 
लोग कहते है इसे ही इबादत, इसे ही तिजारत 
मेरा सर भी ऐसे ही इबादतों में झुका होता है 

उसके ख्यालों या उसके ‘ख्वाबों’ में गुम होता है 
वक्त का हर मंझर में एक ही अक्स बना होता है 
वो जो लगता है जी रहे खुद के लिए गलत है शायद 
उनका जिन्दगी जीना उस ख्वाब का जीना होता है 

कभी वक्त मिले तो फुर्सत से तप्सरा करूंगा 
कैसे कोई ख्वाब जीने की वजह बन जाता है 
कैसे वो जी लेते है एक एहसास के साये में 
सर झुकता हूँ रब का जो इनका साथ दिया मुझे 

मै जो इनके साथ होता हूँ रब साथ होता है 

---डॉ अलोक त्रिपाठी 

Thursday, September 20, 2018

तेरे लिए रब से क्या मांगू?


दौलत मांगू, शोहरत मांगू, या सारी कायनात मांग लूं

ज्यादे क्या मांगू, सोचता हूँ कि उसकी रज़ा मांग लूं


मेरे ख्वाबों की ताबीर बन कर आये मेरी जिन्दगी में

इसीलिए सोचता हूँ बस असर अपनी दुआ में मांग लूं


सजाऊ, सवारू, अपना लूं, छुपा लूं अपने ही आगोश में

अपनी सांसों भर तेरी तकदीर में अपना किरदार मांग लू


मै जनता हूँ अपनी हकीक़त जो अब्तर है तेरी नजर में

सवाल मेरा ये कि मै अपनी चाहतों में शिफा मांग लूं ?


चलो मै अभी भी एक गैर हूँ, एक पहचाना हुआ अजनबी

बेहतर ये होगा कि मै तेरी ही असर तेरी ही दुआ में मांग लूं


                                                  -डॉ आलोक त्रिपाठी २०-०९-२०१८