कही कोई तो तडापता तो होगा ही
आखिर ये दिल यूँ ही क्यूँ उदास हो जाता है?
किसी को तो, य़ा किसी से, मिलने की चाहत सुलगी होगी ?
क्यूँ कोई यूँ ही मायूस हो जाता है एकाएक?
ये गणित ज़रा मुश्किल तो है, वरना समझ गया होता
वैसे भी ये प्रमेय मुझसे कब हल हुये है, जो आज होंगे
बस मेरा दिल कहता कही कुछ तो दुखा है
जो मै रह रह कर परेशान हो उठता हूँ, बेचैन सा एकाएक
हालात बिलकुल वैसे ही होते है,
लेकिन ग्रहण जैसे कुछ ग्रसने लगता है
मन बोझील हो जाता है, एक दर्द के साथ,
पर ये सानंटता कुछ देर मे गाएब हो जाता है, एकाएक
फिर लौट आता हूँ आपनी उसी पुरानी दुनिया मे
अपने सामान्य हालत में, बिना कुछ खोये हुए
ऐसा दीखता है, फिर भी लगता है कुछ तो छुट गया
जैसे कोई ट्रेन सुरंग से निकल गयी हो एकाएक.
-डॉ आलोकत्रिपाठी (२०१७)
Awesome work.Just wanted to drop a comment and say I am new to your blog and really like what I am reading.Thanks for the share
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