कुछ लोगों सवरना किसी एक के लिए होता है
जिन्दगी का सबब किसी का मुस्कुराना होता है
लोग कहते है इसे ही इबादत, इसे ही तिजारत
मेरा सर भी ऐसे ही इबादतों में झुका होता है
उसके ख्यालों या उसके ‘ख्वाबों’ में गुम होता है
वक्त का हर मंझर में एक ही अक्स बना होता है
वो जो लगता है जी रहे खुद के लिए गलत है शायद
उनका जिन्दगी जीना उस ख्वाब का जीना होता है
कभी वक्त मिले तो फुर्सत से तप्सरा करूंगा
कैसे कोई ख्वाब जीने की वजह बन जाता है
कैसे वो जी लेते है एक एहसास के साये में
सर झुकता हूँ रब का जो इनका साथ दिया मुझे
मै जो इनके साथ होता हूँ रब साथ होता है
---डॉ अलोक त्रिपाठी
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