दौलत मांगू, शोहरत मांगू, या सारी कायनात मांग लूं
ज्यादे क्या मांगू, सोचता हूँ कि उसकी रज़ा मांग लूं
मेरे ख्वाबों की ताबीर बन कर आये मेरी जिन्दगी में
इसीलिए सोचता हूँ बस असर अपनी दुआ में मांग लूं
सजाऊ, सवारू, अपना लूं, छुपा लूं अपने ही आगोश में
अपनी सांसों भर तेरी तकदीर में अपना किरदार मांग लू
मै जनता हूँ अपनी हकीक़त जो अब्तर है तेरी नजर में
सवाल मेरा ये कि मै अपनी चाहतों में शिफा मांग लूं ?
चलो मै अभी भी एक गैर हूँ, एक पहचाना हुआ अजनबी
बेहतर ये होगा कि मै तेरी ही असर तेरी ही दुआ में मांग लूं
-डॉ आलोक त्रिपाठी २०-०९-२०१८
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