तुम्हारा नही हूँ मै फिर
भी तुम्हारे लिए हूँ
दूर हूँ या तुम्हारे पास हूँ तुम्हारे लिए हूँ
गिरा जो पलकों से तो दामन में सिमट जाऊंगा
नूर बनकर जिया आँखों की, वो तुम्हारे लिए हूँ
कभी हर ख्वाब का हमसफर था, एतबार था
अब माझी का एक ख्वाब हूँ, तुम्हारे लिए हूँ
हसरतों के आगोश में जिया, मै एक
हसरत हूँ
तुम्हरी मुस्कुराहटों का गवाह हूँ, तुम्हारे लिए
हूँ
जाने क्यूँ तुम मिटा देना चाहते हो मेरा वजूद
तुम्हारी यादों की हर सरगम में हूँ, तुम्हरे लिए
हूँ
किसी उम्मीद में नहीं, किसी मुगालतों में नही हूँ
बस मै एक ख्वाब हूँ जो सिर्फ तुम्हारे लिए हूँ
--------- © डॉ अलोक त्रिपाठी (२०१२)
ReplyDeleteदिनांक 17/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
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अनाम रिश्ता....हलचल का रविवारीय विशेषांक...रचनाकार-कैलाश शर्मा जी
बहुत प्यारी रचना
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना
ReplyDeletelatest postऋण उतार!