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Friday, December 23, 2016

आँसू: काफियों मे काटी है

आँसू: काफियों मे काटी है: वो गजल आज तक मुकाम्मल न हुई  उम्र ज़िसके लिये काफियों मे काटी है वजूद के इतने चेहरे नजर आये मुझे  जाने कितने सवालों मे ये ज़िन्द...

1 comment:

  1. Hi, Really great effort. Everyone must read this article. Thanks for sharing.

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