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Monday, May 14, 2018

...बिना रिश्ते के एक नाम दे जाऊँगा

जाने के बाद कुछ आँखो में नमी छोड जाऊँगा
मैं अपने किरदार में कुछ एहसास जोड जाऊँगा

चाहे कोई याद करे ना करे अपनी उम्र तक मुझको
य़ादों का मखमली मासूम सिलसिला छोड जाऊँगा

रंज होगा उन्हे भी जो छोड गए अपने ख्वाबो के लिए
जीते जी अपनी आवारगी का वो एहसास छोड जाऊँगा

मुझे भी वो याद रखे अपनी दुवाओं में कभी ना कभी
य़ादों का अपनी वो मुसलसल सिलसिला छोड जाऊँगा

नहीं जाया नहीं होंगी चाहते किसी एक शक्स के लिए
अब मैं चाहतों को, बिना रिश्ते के एक नाम दे जाऊँगा

....  © डॉ अलोक त्रिपाठी 2018

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